लेखनी कहानी -14-Nov-2022# यादों के झरोखों से # मेरी यादों की सखी डायरी के साथ
हैलो सखी।
कैसी हो ।खाटू नरेश की नगरी खाटू खाटू श्याम इस बार जाना हुआ । अप्रैल मे।
सखी रात ट्रेन से चले थे खाटूश्यामजी के लिए सुबह छह बजे पहुंच गये थे वहां पर ।सारी रात ट्रेन मे चलने पर थकावट हो गयी थी।पर वहां तो धर्म के नाम पर लूट मचा रखी थी इतनी गंदी धर्मशाला भी बहुत महंगी थी ।एक तो पतिदेव वैसे ही नास्तिक है ऊपर से बडे बड़े धर्म स्थलों पर जो ये लूट मचा रखी है वो उनसे काबिले बर्दाश्त नही है।हम जब खाटू श्याम उतरे ही थे कि एक बच्ची एक राधे लिखा ठप्पा लेकर आयी हमने सोचा ये हमारा स्वागत कर रही है पर जब हम धराशाई हो गये जब वह इस काम के दस रूपए मांगने लगी।हमे बड़ा बुरा लगा ।हमे गुस्सा आ गया कि हमने तो उससे कहा नही था तिलक लगाने को ।और मैने खीझते हुए उसे दस रुपए दिए।अब हमे समझ आ गयी थी कि यहां हमे लूटा जा रहा है जरा जरा सी खाने की चीजों के तीस रुपए चालीस रुपए।रही कसर मंदिर मे पूरी हो गयी हम सब पहली बार खाटूश्यामजी गये थे सो मेरा बड़ा बेटा फोन पर ही विडियो बनाने लगा। वहां दरबार मे खड़ा एक गार्ड ने उसे हाथ पकड़ कर दूसरी तरह धकेल दिया मुझे बड़ा गुस्सा आया।मेरी उस गार्ड से लड़ाई भी हो जाती कि तुमने उसे इतनी बुरी तरह क्यों धकेला।अब तो बस पापा बेटे को मौका मिल गया है ।बेटा तो कह रहा है ममा अब मुझे यहां आने के लिए मत कहना कभी।मै तो यही सोचती हूं कि अगर धार्मिक जगहों पर हमारे युवाओं के साथ बुरा बर्ताव किया जाएगा तो वे आये गे नही तो हमारी इन विरासतों की देखभाल कौन करेगा बहुत थक गयी थी सखी ।अब चलती हूं। अलविदा।
Arina saif
03-Dec-2022 06:18 PM
Shaandar
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Pratikhya Priyadarshini
02-Dec-2022 10:16 PM
Bahut khoob
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Peehu saini
02-Dec-2022 09:43 PM
Bahut khoob 😊
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